लालू यादव ने कैसे जीता मुसलमानों का दिल? आडवाणी की गिरफ्तारी का वह ऐतिहासिक फैसला जो बदल गया बिहार की राजनीति का चेहरा”


आज 8 नवंबर है और भारतीय राजनीति के ‘लौह पुरुष’ और बीजेपी के संस्थापक सदस्य लालकृष्ण आडवाणी अपना 98वां जन्मदिन मना रहे हैं। आडवाणी भारतीय राजनीति के उन नेताओं में से हैं, जिन्होंने देश की दिशा और दशा दोनों बदल दी। जब भी उनका जिक्र होता है, बिहार की राजनीति का एक ऐतिहासिक पन्ना अपने आप खुल जाता है। यह वह पन्ना है, जिसने न सिर्फ बिहार बल्कि पूरे देश की सियासत को नए मोड़ पर खड़ा किया।

1990 में राम मंदिर आंदोलन के दौरान आडवाणी ने 25 सितंबर को सोमनाथ से अयोध्या के लिए ‘राम रथयात्रा’ शुरू की। यह केवल एक यात्रा नहीं थी, बल्कि बीजेपी का राजनीतिक दांव था, जिसने इसे 2 सीटों वाली पार्टी से सत्ता की शिखर पर पहुंचाने में मदद की। जैसे ही रथ बिहार के समस्तीपुर में पहुंचा, तब के मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव ने आडवाणी को गिरफ्तार कर दिया। यह कदम केंद्र की वीपी सिंह सरकार को झटका देने वाला था। गिरफ्तारी के बाद बीजेपी ने समर्थन वापस ले लिया और सरकार अल्पमत में आ गई।

इस घटना ने बिहार में ‘M-Y’ (मुस्लिम-यादव) समीकरण को जन्म दिया। लालू यादव अल्पसंख्यकों का मसीहा बनकर उभरे, जबकि आडवाणी की रथयात्रा ने बीजेपी को राष्ट्रीय राजनीति के केंद्र में खड़ा कर दिया। उस एक गिरफ्तारी ने बिहार की राजनीति और राष्ट्रीय राजनीति दोनों पर लंबा असर डाला।

आज, LK Advani Birthday पर हम न केवल उनके राजनीतिक योगदान को याद कर रहे हैं, बल्कि उस ऐतिहासिक रथयात्रा और गिरफ्तारी की भूमिका को भी जो भारतीय राजनीति के परिदृश्य को हमेशा बदल गई।

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