पूर्वोत्तर सीमा पर वायुसेना का मेगा अभ्यास घोषित


भारतीय वायुसेना ने अपने पूर्वोत्तर क्षेत्र में बड़े पैमाने पर एयर एक्सरसाइज (वायु अभ्यास) की घोषणा की है. यह अभ्यास भारत की चीन, भूटान, म्यांमार और बांग्लादेश से सटी सीमाओं पर किया जाएगा. इस संबंध में सरकार ने NOTAM (Notice to Airmen) जारी कर दिया है.

सूत्रों के मुताबिक, यह वायु अभ्यास छह अलग-अलग तारीखों पर आयोजित किया जाएगा-

6 नवंबर 2025 (14:0018:29 UTC), 20 नवंबर 2025 (14:0018:29 UTC), 04 दिसंबर 2025 (14:0018:29 UTC), 18 दिसंबर 2025 (14:0018:29 UTC), 01 जनवरी 2026 (14:0018:29 UTC), 15 जनवरी 2026 (14:0018:29 UTC)

सूत्रों के अनुसार, यह अभ्यास सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश, असम और नगालैंड सहित पूरे पूर्वोत्तर क्षेत्र में किया जाएगा. इसमें वायुसेना के फाइटर जेट्स, ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट और ड्रोन शामिल रहेंगे. यह अभ्यास रणनीतिक दृष्टि से बेहद अहम है, क्योंकि यह क्षेत्र सिक्किम (2020) और तवांग (2022) जैसी भारत-चीन सीमा झड़पों का गवाह रह चुका है. वहीं डोकलाम क्षेत्र जो भारत, चीन और भूटान की सीमा पर स्थित है, तीनों देशों के बीच तनाव का केंद्र बना रहा है.

रक्षा सूत्रों के अनुसार, इस अभ्यास का उद्देश्य सीमा पर हवाई निगरानी, त्वरित प्रतिक्रिया क्षमता और बहु-डोमेन संचालन की तैयारी को परखना है. यह अभ्यास सिलीगुड़ी कॉरिडोर, जिसे भारत का चिकन नेक कहा जाता है, उससे लेकर अरुणाचल प्रदेश के न्यिंगची सेक्टर तक फैले हवाई क्षेत्र में होगा. यह कदम भारत का एक स्पष्ट संदेश है कि देश की पूर्वी सीमाओं पर किसी भी आपात स्थिति या आक्रामक गतिविधि का जवाब देने के लिए वायुसेना पूरी तरह तैयार है.

भारत का साफ संदेश.. तैयारी और आत्मनिर्भरता का प्रदर्शन
भारत यह दिखाना चाहता है कि उसकी वायुसेना किसी भी दिशा से आने वाले खतरे के लिए तैयार है चाहे वह चीन की सीमा से हो, पाकिस्तान की ओर से, या फिर पूर्व में बांग्लादेश-म्यांमार के पार समुद्री इलाके से. इस युद्धाभ्यास के ज़रिए भारत यह संदेश देता है कि हमारा पूर्वोत्तर इलाका न सिर्फ़ संवेदनशील है, बल्कि हमारी ताकत का भी केंद्र है.

चीन के लिए संदेश.. सीमा पर हवाई प्रभुत्व कायम
* यह अभ्यास उन इलाकों के पास हो रहा है जहां भारत-चीन टकराव (जैसे तवांग और सिक्किम) पहले हो चुके हैं. * चीन लगातार तिब्बत और न्यिंगची क्षेत्र में मिसाइल व एयरबेस तैनात कर रहा है. * भारत यह बताना चाहता है कि अगर कभी जरूरत पड़ी, तो IAF कुछ ही मिनटों में प्रतिक्रिया दे सकती है. यह चीन के लिए एक संतुलित लेकिन सख्त संदेश है भारत अब केवल रक्षा नहीं, बल्कि डिटरेंस (रोकथाम की शक्ति) पर ध्यान दे रहा है.

पाकिस्तान के लिए कड़ा संदेश .. दो मोर्चों पर तैयार सेना
हालांकि यह अभ्यास पूर्वी क्षेत्र में है पर पाकिस्तान के लिए अप्रत्यक्ष संदेश साफ़ है कि भारत दो फ्रंट (चीन और पाकिस्तान) पर एक साथ कार्रवाई करने की क्षमता रखता है. यानी अगर पश्चिम में कोई तनाव बढ़ता है, तो भी भारत की पूर्वी कमांड पूरी तरह सक्रिय और मजबूत है.

बांग्लादेश और म्यांमार के लिए संदेश..सहयोग और सुरक्षा
भारत का मकसद इन दोनों पड़ोसी देशों को धमकाना नहीं, बल्कि यह दिखाना है कि हमारा उद्देश्य स्थिरता और साझा सुरक्षा है भारत यह भी चाहता है कि ISI या चीन के प्रभाव में आकर पूर्वोत्तर में कोई अस्थिरता न फैले.

कुल मिलाकर रणनीतिक संकेत:
भारत पूर्वी सीमा पर पूर्ण हवाई नियंत्रण सुनिश्चित करना चाहता है. यह अभ्यास तीन देशों (चीन-भूटान-म्यांमार) से सटे क्षेत्रों में सामरिक संतुलन बनाने की दिशा में कदम है. साथ ही, यह दिखाता है कि भारत की वायुसेना अब रिएक्टिव नहीं, बल्कि प्रोएक्टिव रणनीति पर काम कर रही है.

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